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नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ १४ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, click here यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.